गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

पिता की सीमित आय भी रोक नहीं सकी प्रखर का तेज

  Chhattisgarh Express

Aalok Kumar Hota
 सरस्वती शिशु मंदिर चांपा में पढ़ने वाला प्रखर कौशल चांपा में अपने पिता उपेन्द्र कौशल और मां अर्चना कौशल के साथ रहता है। प्रखर के पिता उपेन्द्र कौशल डोंगाघाट चांपा के पास स्थित धर्मशाला में रामअवतार मोदी के यहां देखरेख का काम करते हैं। प्रखर के पिता की आय सीमित है उसमें से भी बड़ा हिस्सा मकान किराए में खर्च हो जाता है जिसके बाद भी प्रखर पढ़ाई कर रहा है। प्रखर की मां अर्चना गृहिणी है। प्रखर के पिता पांच साल पहले उत्तरप्रदेश से चांपा आ गए थे तब से वो यहां निवासरत है। अपनी सफलता का श्रेय प्रखर अपने माता पिता और गुरूजनों के साथ साथ अपनी बड़ी दीदी को देता है। प्रखर गणित विषय लेकर आगे पढ़ना चाहता है वहीं आगे चलकर वह रेल्वे के क्षेत्र में जाना चाहता है।


राहुल की ख्वाहिश आईएएस बनने की


  राहुल कुमार देंवागन सरस्वती शिशु मंदिर चांपा का छात्र है। उसके पिता सुशील कुमार पंडित सुंदर लाल शर्मा यूनिवर्सिटी में अंबिकापुर में पदस्थ है वहीं माता अनिता गृहिणी है। राहुल को 580 अंकों के साथ कक्षा दसवीं की प्रावीण्य सूची में राज्य में सातवां स्थान प्राप्त हुआ है। राहुल रोजाना पांच से छः घंटे तक पढ़ाई करता था। उसने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरूजनों के साथ-साथ परिवार वालों को दिया है। राहुल की ख्वाहिश आईएएस बनने की है।

शिक्षा विभाग से संबद्ध है आलोक के पिता


    जिले के अंतिम छोर में बसे चन्द्रपुर के सरस्वती शिशु मंदिर से इस बार कक्षा दसवीं की प्रावीण्य सूची में नौवे नंबर पर आलोक कुमार होता आया है। आलोक के पिता गिरधारी लाल डभरा ब्लाक के चंदली में अंग्रेजी के व्याख्याता है वहीं मां बबीता रानी गृहिणी है। आलोक का निवास रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लाक का ग्राम पुनगा है। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से बात करते हुए आलोक ने बताया कि वह गणित विषय लेकर आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता है तथा आगे चलकर वह पीएससी के माध्यम से एडमिनिस्ट्रेशन में जाना चाहता है। आलोक ने अपनी सफलता का श्रेय अपने मम्मी पापा को दिया है।

टीवी देखते ही फूट फूटकर रो पड़ी वह

Janjgir-Champa / chhattisgarh express  
Aakriti Rathore
जिला मुख्यालय में शारदा मंदिर के पीछे निवास करने वाली आकृति राठौर को प्रावीण्य सूची में आने का पूरा भरोसा था इसीलिए वह दस बजे से टीवी के सामने चिपकी हुई थी वहीं साढ़े दस बजे के बाद से टीवी पर प्रावीण्य सूची में आने वाले लोगों के नाम लिखाने प्रारंभ हो गए। लगभग सभी चैनलों में पहले नंबर पर रायगढ़ के हेमंत कुमार साहू के आने और दूसरे नंबर पर जांजगीर से अदिति राठौर और श्रुति साहू के आने की खबरे चलने लगी जिसके बाद आकृति राठौर फूट फूट कर रो पड़ी। थोड़ी देर में चैनलों में अदिति राठौर की जगह आकृति राठौर लिखाना प्रारंभ हुआ वहीं घर वालों ने भी उसे समझाया कि राज्य में पहला नहीं आई तो क्या हुआ दूसरा आना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। आकृति राठौर के पिता अरविंद राठौर उसी ज्ञानदीप स्कूल में शिक्षक हैं जहां आकृति पढ़ाई करती है वही उसकी मां गृहिणी है। आकृति आगे गणित विषय लेकर पढ़ना चाहती है वहीं उसकी ख्वाहिश कलेक्टर बनने की है। अपनी सफलता का श्रेय आकृति अपने मम्मी-पापा के साथ-साथ अपने गुरूजनों और ज्ञानदीप स्कूल के प्राचार्य अखिलेश कटकवार को देती है। आकृति को गणित में पूरे सौ में सौ अंक मिले हैं वहीं उसे कुल 97.5 प्रतिशत अंक हासलि हुए हैं।

मजदूर मां के सपनों को बेटी ने किया साकार



Janjgir
suruchi sahu
जिला मुख्यालय से लगे हुए बलौदा विकासखंड के ग्राम जर्वे में श्रीमती शकुंतला साहू अपने पति की मौत के बाद अपने पिता के साथ रहती है वहीं मजदूरी कर वह अपने बच्चों को पढ़ा रही है। राज्य में प्रावीण्य सूची में दूसरे नंबर पर आने वाली सुरूचि उनकी ही बेटी है जिसे उसकी मां ने मजदूरी करते हुए पढ़ाया है। मां बेटी दोनों चांपा शादी में गए हुए थे जहां से आज दसवीं का परिणाम घोषित होना है जान जिद कर बेटी पहले ही घर आ गई थी वहीं मां शादी घर में ही रूकी हुई थी जहां पर बेटी के पूरे राज्य में दूसरे नंबर पर आने की जानकारी मजदूर मां को हुई तो वह खुशी से फूले नही समाई और तुरंत वह भी अपनी बेटी के पास आ गई। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से बात करते हुए सुरूचि साहू ने बताया कि पिता के मौत के बाद उसकी मां उसे लेकर नाना के घर जर्वे चली आई जहां नाना के घर रहते हुए वह पढ़ाई करती है। उसकी मां मजदूरी कर उसके पढ़ाई का पूरा खर्च उठाती है जिसने उसकी पिता की कमी उसे कभी महसूस नही होने दी। सुरूचि के नाना खेती करते हैं वहीं बड़ा भाई गायत्री संस्करण भी ग्यारहवीं में पढ़ता है जो उसकी पढ़ाई की ओर ध्यान देता है। पैसे के अभाव में सुरूचि ने कभी किसी से ट्यूशन नहीं लिया वहीं वह खुद ही अभावों के बीच में पढ़कर अपना हौसला बढ़ाते रही है। सुरूचि गणित लेकर आगे की पढ़ाई करना चाहती है वहीं उसका सपना इंजीनियर बनने का है। सुरूचि जिला मुख्यालय के विवेकानंद हायर सेकेण्डरी स्कूल में पढ़ती है जहां के प्राचार्य मनोज पाण्डेय का कहना है कि प्रावीण्य सूची के टाॅपर को माध्यमिक शिक्षा मंडल जितनी राशि का ईनाम देगी उतना स्कूल मैनेजमेंट की ओर से भी उसे दिया जाएगा वहीं नगर का गौरव होने की वजह से अब उससे बारहवीं कक्षा तक शुल्क नहीं लिया जाएगा।

ठेका मजदूर का बेटा हेमंत पूरे राज्य में अव्वल

दसवीं में बेटियों ने मारी बाजी
Hemant Kumar Sahu



रायपुर/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित हाईस्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा वर्ष 2016 के परिणाम गुरूवार को घोषित कर दिए गए। स्कूल शिक्षामंत्री केदार कश्यप ने बुकलेट जारी कर परीक्षा के परिणाम जारी किए। दसवीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में इस कुल नियमित 4,26824 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए। इनमें से 4,21,333 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें से 2,24,209 बालक तथा 1,97,124 बालिकाएं हैं। परीक्षा में कुल 2,32,587 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए, जिसमें सफल रहे परीक्षार्थियों का कुल 55.32 प्रतिशत रहा। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बारहवीं बोर्ड की तरह दसवीं बोर्ड परीक्षा में भी लड़कों की तुलना में लड़कियां आगे रही। इसमें से उत्तीर्ण बालिकाओं का प्रतिशत 55.75 तथा बालकों का प्रतिशत 54.84 रहा है। सम्मिलित परीथार्थियों में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण परीथार्थियों की संख्या 49537 है, द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण परीक्षार्थियों की सख्या 86.494 है तथा तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण परीक्षार्थियों की संख्या 94.485 है। 2,071 परीक्षार्थियों को पास की श्रेणी में उत्तीर्ण घोषित किया गया है। 38,405 परीक्षार्थियों को पूरक की पात्रता दी गई है। कुल 133 परीक्षार्थियों के परिणाम विभिन कारणों से रोके गये तथा 827 परीक्षार्थियों के परीक्षाफल निरस्त किये गये हैं।
खेलकूल, स्काउट-गाइड, एन.सी.सी. एन.एस.एस. में प्रावीण्य परीक्षार्थियों एवं साक्षर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित (पंजीकृत) 10 असाक्षरों को बेसिक प्राइमर और 10 असाक्षर शिक्षार्थी को क एव ंख श्रेणी में उत्तीर्ण कराने पर अनुदेशकों को परीक्षा में बोनस अंक दिए जाने के कारण छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशानुसार वर्ष 2016 में खेलकूद-1,005, स्काउट-गाईड 440, एन.सी.सी.-7 अनुदेशक-453 कुल 1905 परीक्षार्थियों को बोनस अंक प्रदान किया गया है।

10वीं बोर्ड के टाॅपर


01 हेमंत कुमार साहू
594/99
नंदेली रायगढ़


02 आकृति राठौर
585/97.50
जांजगीर

02 सुरूचि साहू
585/97.50
जांजगीर


03 वर्तिका कुमारी
584/97.33
रायगढ़


04 सोमनाथ यादव
583/97.17
मुंगेली


05 चन्द्रकला
582/97 प्रतिशत
देवरभट बालोद

06 कपिल साव
581/96.83 प्रतिशत
पुसौर/रायगढ़


06 एकता बेहरा
581/96.83
बसना महासमुंद

06 जानकी सपहा
581/96.83
कापा रायपुर

06 निशिका गुप्ता
581/96.83
रायगढ़



07 अतुल कुमार पटेल
580/96.67
बांधापाली रायगढ़

07 एकता साहू
580/96.67
बलौदाबाजार

07 एकांत चन्द्राकर
580/96.67
रायपुर

07 राहुल कुमार देंवागन
580/96.67
चांपा जांजगीर


08 शिव कुमार पाण्डेय
579/96.50
सिमगा बलौदाबाजार

08 पूजा पटेल
579/96.50
कोरबा


09 पृथ्वीराज चैहान
578/96.33
कनकबीरा रायगढ़


09 सौरव देशमुख
578/96.33
बालोद

09 जयप्रकाश साहू
578/96.33
धमतरी

09 आलोक कुमार होता
578/96.33
चन्द्रपुर जांजगीर

10 दुर्गेश्वरी पटेल
577/96.17
नंदेली रायगढ़

10 श्रुति किरण प्रधान
577/96.17
सरिया रायगढ़

10 काजल पाटनवार
577/96.17
बिटकुला बिलासपुर

10 प्रखर कौशल
577/96.17
चांपा जांजगीर

10 दीपक कुमार सेन
577/96.17
कोरबा

10 दामिनी सिन्हा
577/96.17
दुर्ग

10 योगेन्द्र साहू
577/96.17
लिमतरा दुर्ग

10 सौरभ राजपूत
577/96.17
पंडरिया कवर्धा


जांजगीर-चांपा जिले के टुण्ड्री का रहने वाला है टापर हेमंत


छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित दसवी बोर्ड परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाने वाले हेमंत कुमार साहू का सपना इंजीनियर बनना है। रायगढ़ जिले के महेन्द्र सिंह पटेल मेमोरियल आदर्श हायर सेकेण्डरी स्कूल नंदेली में पढ़ने वाले हेमंत का मूल गांव जांजगीर-चांपा जिले के डभरा ब्लाक का टुण्ड्री है जहां हेमंत कुमार अपने परिवार के साथ निवासी करता है। ग्राम नंदेली का स्कूल हेमंत के गांव से 4-5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्कूल से दो छात्रों ने प्रावीण्य सूची में अपना स्थान बनाया है। हेमंत ने परीक्षा में 99 प्रतिशत अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया है। हेमंत के पिता निराकार साहू ने बताया कि गांव में उसकी दो एकड़ की कृषि भूमि है जिसमें वो खेती करते हैं वहीं डीबी पावर में वो ठेका श्रमिक के रूप में काम करते हैं। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से बात करते हुए हेमंत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, अपने शिक्षक और बीएससी में पढ़ने वाली अपनी बहन को दिया है। हेमंत के अनुसार उन्होंने सामान्य रूप से ही परीक्षा की तैयारी की। उनके अनुसार स्कूल में जो पढ़ाया जाता था उसका घर आकर वे रिवीजन करते थे। परीक्षा के समय उन्होंने 8 घंटे पढ़ाई की और यह सफलता के लिए कारगर सिद्ध हुआ। हेमंत गणित विषय लेकर आगे पढ़ना चाहते हैं तथा आईआईटी की परीक्षा में कामयाबी हासिल कर इंजीनियर बनना चाहते हैं।


रविवार, 17 अप्रैल 2016

आवश्यकता है 36 सनकी लोगों की

dainik chhattisgarh express
पंजाब के 130 आईपीएस अफसरों की कुल संपत्ति लगभग पांच सौ करोड़ रूपए है, उसमें से अकेले मोहाली के एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर के पास 152 करोड़ रूपए की संपत्ति है। साहब चाहते तो अच्छे खासे उद्यमी बन राजा महाराजा सी ठाठ-बाट की जिंदगी जी सकते थे लेकिन जिद थी पुलिस में जाने की तो एसएसपी बन चैबीस घंटे कठिन परिश्रम कर रहे हैं। गुरप्रीत सिंह भुल्लर और उस जैसे कई लोग आसान सी कट रही जिंदगी को छोड़कर अपनी जिद, अपने जुनून के चलते सारी सुविधाआंे को ताक पर रखकर जीवन में कठिन रास्ता चुनते हैं और तब तक चैन से नहीं बैठते जब तक वो अपनी मंजिल पर पंहुच नहीं जाते। चाहे लोकपाल को लेकर जेल जाने को तैयार बैठे बूढ़े अन्ना हजारे हो या फिर उनकी सलाह को भी दरकिनार कर राजनीतिक दल का गठन कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पंहुचे उनके शिष्य अरविंद केजरीवाल। अट्ठारह घंटे तक कठिन परिश्रम कर पहले गुजरात, फिर देश और अब विश्व पटल पर छा जाने वाले नरेन्द्र मोदी हो या फिर बिहार जैसे पिछड़े राज्य में जहां की एक बड़ी आबादी की रात बिना शराब पिए कटना मुश्किल हो में रातो रात शराब बंदी लागू करने वाले नीतिश कुमार। सब एक ही तरह के जिद्दी, एक ही तरह के जुनूनी लोग हैं। इस तरह के जिद्दी, इस तरह के जुनूनी लोगों को दुनिया सनकी कहती है, लेकिन इतिहास गवाह है इतिहास को बनाने और इतिहास को बदलने का काम भी ऐसे ही जुनूनी और सनकी लोग ही करते हैं। ऐसे ही लोग आगे चलकर महान कहलाते हैं। दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को अपने विस्तार के लिए 36 ऐसे ही जिद्दी, ऐसे ही जुनूनी, ऐसे ही सनकी लोगों की आवश्यकता है जिन्हें अर्जुन की तरह सिर्फ मछली की आंख ही दिखाई देती है। जो अपने लक्ष्य तक पंहुचने से पहले ना थकते हैं, ना रूकते हैं और जब वो रूकते हैं तो एक नया इतिहास सबके सामने होता है। अगर आपको भी लगता है कि आप में एक जिद, एक जुनून, एक सनक और प्रिंट मीडिया में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो आप हमसे hr.chhattisgarhexpress@gmail.com पर ईमेल भेजकर संपर्क कर सकते हैं।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

प्रिंट मीडिया दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस का फ्रेंचाइजी से होगा विस्तार

दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस अपनी विस्तार योजना के तहत देश के प्रमुख शहरों में दैनिक  समाचार पत्र छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस की फ्रेंचायजी देना चाहती है। इच्छुक व्यक्ति मो. नं. 07489405373 पर संपर्क कर सकते है।

स्वयं में ब्राण्ड नेम है छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस
Dainik Chhattisgarh Express दैनिक छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

 छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर बिलासपुर से रायपुर, नागपुर, भोपाल, आगरा, नई दिल्ली होते हुए अमृतसर जाने के लिए छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के नाम से रेल्वे के द्वारा बरसो पहले से एक ट्रेन संचालित की जा रही है। उक्त ट्रेन छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्यप्रदेश के लोगों को देश की राजधानी से जोड़ने का प्रमुख माध्यम रही है, यही वजह है कि छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस स्वयं में एक ब्रांडनेम है जो एक समाचार पत्र के रूप में लोगों की जुबान पर बड़ी आसानी से चढ़ सकता है। 01 सितंबर 2015 से छत्तीसगढ़ से छत्तीसगढ़  एक्सप्रेस नाम से समाचार पत्र का प्रकाशन हो रहा है।


फ्रेंचाइजी को अधिकार ?
 छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस की फ्रेंचाइजी लेने के बाद आप उस शहर से छत्तीसगढ़  एक्सप्रेस नाम से अखबार का संचालन कर सकते हैं। फ्रेंचाइजी वाले स्थान पर आप अखबार के संचालन (समाचार/विज्ञापन/प्रसार) के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र रहेंगे।

निवेश का बेहतर माध्यम
 अगर आपके पास पर्याप्त पैसे है, आप उद्योग/निजी संस्थान/सामाजिक अथवा राजनीतिक संगठन से जुड़े हुए हैं तो छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

दंतकथा पर आधारित शिरिष पाठ की महिमा निराली

पामगढ़ के समीपस्थ डोंगाकोहरौद में स्थित है मां का मंदिर 

मां शिरिष पाठ
शिरिष पेड़
राजेश सिंह क्षत्री/छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस 

नवरात्रि के पर्व पर मां शिरिष पाठ की छठा देखते ही बनती है, जहां स्थानीय अंचलों सहित दूर-दराज से श्रद्धालुजन प्रतिदिन दर्शन करने पहुंचते है, जिसमें दंतकथा पर आधारित शिरिष पाठ में स्थापित मां की  प्रतिमा के साथ शिरिष पेड़ की पूजा किये जाने का विधान प्राचीनकाल से हैं। यह कथा जिला मुख्यालय जांजगीर के पामगढ़ विकासखण्ड की समीपस्थ ग्राम डोंगाकोहरौद की हैं, जिसमें प्रचलित कथा के अनुसार नाव और महिला की कथा प्रचलित हैं। इस प्रचलित कथा में गर्भवती महिला का नाव से पार करने की कहानी हैं, जिसके अनुसार यात्री नाव से भरी नाव महानदी में पार कर रहे थे तभी नाव बीच मजधार में रूक गई, जिसका कारण नाव में सवार गर्भवती महिला की सवार होने की कहानी प्रचलित हैं। मजधार में नाव रूकने पर नाविक ने यात्रियों से पूछा कि कोई गर्भवती महिला इसमें सवार हैं, तब एक यादव समाज की महिला ने स्वीकार किया कि वे गर्भवती हैं, तब नाविक ने उसे बदना-बदने के लिए कहा और बदना-बदने के पश्चात नाव नदी पार कर गई। यह महिला ग्राम डोंगाकोहरौद की रहने वाली थी और उसने बच्चा पैदा होने के पश्चात अपना बदना पूरा नहीं किया, तब शिरिष पेड़ से बना एक नाव पुरातन काल में टार-नाला के सहारे नदी से गांव की बंधवा तालाब तक जा पहुंचा और तालाब में स्नान कर रही बदना-बदने वाली महिला को अपने चपेट में लेते हुए डूबाकर मार दिये। घटना की जानकारी गांव में फैल गई, तब उसके पति ने कुल्हाड़  लेकर तालाब पहुंचा और घटनाकारित नाव को तालाब से पकड़ बाहर निकाला तथा कुल्हाड़ से उसके तुकड़े-तुकड़े कर दिये। इस घटना के कुछ दिन बाद गांव में प्राकृतिक आपदा फैल गई है और सभी प्रमुख मार्गो में जगह-जगह शिरिष का पेड़ उग आया, जिस पर गांव वालो ने दैविक आपदा मानकर एक यज्ञ कराया तथा जगह-जगह उगे शिरिष पेड़ को काटकर सिर्फ यज्ञ स्थल के पेड़ को बाकी रखा। इसके पश्चात उस पेड़ की पूजा गांव की प्रमुख देव के रूप में सैकड़ो वर्ष पूर्व की जाती रही हैं तथा उसमें काली फीता-चुड़ी बांधकर अपना-अपना मन्नत मांगने की विधान चलते रहा। प्रारंभ में उस स्थल पर करीब 20 फिट के चबुतरे पर 7 शिरिष पेड़ था, जहां ग्रामवासी सभी प्रमुख त्यौहारों में पूजा-अर्चना करते थे, किन्तु वर्ष 2000 के पश्चात गांव के प्रबुद्धजनों द्वारा उस स्थल की विकास के लिए ध्यान देना प्रारंभ किया किन्तु विकास के लिए चारो तरफ गांववासियों का दो फसली खेत का होना अड़चन के रूप में दिखाई दी। इस स्थिति में गांव वालों ने एक समिति बनाकर उस स्थल के विकास के लिए शिरिष पेड़ की चबुतरे से जुड़े भूमि को किसानों से दान के रूप में मांगा और पंचायत की सहयोग से एक छोटा मंदिर बनाया।

चबुतरे से सड़क तक का सफर तय 


उक्त स्थल पर ग्रामवासियों का विशेष आस्था होने के कारण खेतिहर भूमि होने का अड़चन धीरे-धीरे दूर होते गया और एक मंदिर के पश्चात छोटे-छोटे अन्य भवन बन गये, वहीं पहुंच मार्ग के लिए भी रास्ता निकालते हुए नहर से करीब दो किलोमीटर दूरी तक बीच में पडने वाले सभी किसानों से 10 फीट भूमि दान का मांग रखा गया तब किसानों ने सहर्ष स्वीकारते हुए अपनी-अपनी भूमि दान दे दी और प्रशासनिक सहयोग से आज वहां सीमेंट कांक्रीट का सडक़ मार्ग बन गया हैं, जहां मंदिर में विराजित माता के दरबार में सैकड़ो की संख्या में प्रति वर्ष दोनो नवरात्र के पर्व पर दीप-ज्योति प्रज्जवल्लित कराते हैं तथा हजारों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचने लगे हैं।